बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या


कर्नाटक के शिमोगा में बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या के बाद वहां हिंसा भडक़ गई है। स्थिति को काबू करने के लिए धारा 144 लगाने के साथ-साथ रैपिड एक्शन फोर्स तैनात कर दी गई है। बजरंग दल ने 23 फरवरी को कर्नाटक बंद करने का आह्वान किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने सिलसिलेवार ट्वीट किए कि ‘शैक्षणिक संस्थाओं में ड्रेस का समर्थन और हिजाब का विरोध करने पर हर्ष को जिहादी कट्टरपंथियों ने बेरहमी से मार डाला। राष्ट्र विरोधी, हिंदू विरोधी कट्टरपंथी ताकतों द्वारा हर्ष की हत्या कर दी गई है। बलिदानी हर्ष को श्रद्धांजलि।’ गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी कहा है कि स्कूल-कालेज में हिजाब के खिलाफ अभियान का समर्थन करने पर हर्ष की हत्या की गई। वहीं, केंद्रीय राज्यमंत्री शोभा करांदलजे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की एनआइए से जांच कराने की मांग की है। राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा कि 28 वर्षीय हर्ष की हत्या के मामले में अभी तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

जांच के बाद ही हत्या के कारणों और उसके लिए जिम्मेदार लोगों के बारे में कुछ कहा जा सकेगा। पेशे से टेलर हर्ष शिमोगा में बजरंग दल का प्रखंड समन्वयक था। कुछ दिन पहले उसने एक इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर एक धर्म विशेष को लेकर पोस्ट लिखा था, जिसके बाद उसके खिलाफ शहर के डोडापेट थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। उसे फोन पर जान से मारने की धमकियां भी मिल रही थी। गत रविवार को रात नौ बजे के करीब भारती कालोनी में रविवर्मा मार्ग पर कार से आए बदमाशों ने उसे दौड़ाया और धारदार हथियार से बुरी तरह गोद डाला। अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने कर्नाटक में बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि यह कट्टरपंथियों की तरफ से मुस्लिम समुदाय में फैलाये जा रहे जहर का परिणाम है, जिसको रोके जाने की आवश्यकता है।

हिजाब को लेकर कर्नाटक सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा है कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परम्परा नहीं है। हिजाब मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने कहा, यह एक ऐसा मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता अकेले ही अदालत में आई है। वे एक खास पोशाक को एक धार्मिक मंजूरी का हिस्सा बनाना चाहती है ताकि यह इस्लाम को मानने वाले हर किसी पर बाध्यकारी हो। यह दावे की गंभीरता है। महाधिवक्ता ने कहा कि प्रत्येक महिला, जो इस्लाम को मानती है, उन्हें धार्मिक परंपरा के अनुसार हिजाब पहनने की जरूरत है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है। महाधिवक्ता के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं की दलील बेबुनियाद है। नावडगी ने कहा, हमारा यह रुख है कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है।
डा. भीम राव आंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि हमें अपने धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों के बाहर रख देना चाहिए। अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा कि हिजाब के बारे में कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया, आपने दलील दी है कि सरकार का आदेश नुकसान नहीं पहुंचाएगा और राज्य सरकार ने हिजाब को प्रतिबंधित नहीं किया है तथा न ही इस पर कोई पाबंदी लगाई है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि छात्राओं को निर्धारित पोशाक पहननी चाहिए। आपका क्या रुख है-हिजाब को शैक्षणिक संस्थानों में अनुमति दी जा सकती है, या नहीं? नावडगी ने जवाब में कहा कि यदि संस्थानों को इसकी अनुमति दी जाती है तब यह मुद्दा उठाने पर सरकार संभवत: कोई निर्णय करेगी।

गौरतलब है कि मुस्लिम देशों में हिजाब को लेकर की गई व्यवस्था को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि हिजाब आवश्यक धार्मिक परम्परा नहीं है। द्य मिस्र: मिस्र में संभ्रांत तबका हिजाब का विरोध करता है। कई संस्थानों ने अपने स्तर पर हिजाब, नकाब को प्रतिबंधित किया हुआ है और इन प्रतिबंधों को लोगों का समर्थन मिला है।
सऊदी अरब: यहां हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है। क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान का कहना है कि यदि सम्मानजनक पहनावा हो तो महिलाओं को हिजाब या अबाया पहनने की जरूरत नहीं है। अबाया ऐसा पहनावा है, जिससे शरीर और हाथ ढके रहते हैं। इंडोनेशिया: यहां हिजाब पूरी तरह वैकल्पिक है। अनिवार्यता या प्रतिबंध जैसा कुछ नहीं है। जार्डन में भी ऐसा ही है। सीरिया: विश्वविद्यालयों में चेहरे को ढकने वाले पहनावे पर प्रतिबंध लगा है। हिजाब पर कोई व्यवस्था नहीं है। कजाखस्तान: सितंबर, 2017 में कुछ स्कूलों ने हिजाब प्रतिबंधित कर दिया था। इसके खिलाफ अभिभावकों ने अपील की थी, लेकिन प्रतिबंधित बना रहा। 2018 में सरकार ने निकाब और इस तरह के परिधानों को सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंधित कर दिया। अजरबेजान: यहां जन सामान्य हिजाब को अतिवाद से जोडक़र देखता है। कई मामले देखे गए हैं जहां हिजाब पहनने वाली महिलाओं को रोजगार पाने में मुश्किल हुई।

भारत में जिस तरह हिजाब के नाम पर साम्प्रदायिक तनाव पैदा किया जा रहा है तथा जिस तरह मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को भडक़ाया जा रहा है उसका परिणाम बजरंग दल के कार्यकर्ता हर्ष की हत्या के रूप में हमारे सामने है। भारत की विश्व स्तर पर छवि खराब करने और भारत में साम्प्रदायिक दंगे कराने के लिए एक योजनाबद्ध तरीके से भारत विरोधी शक्तियां कार्य कर रही हैं। इसलिए समाज और सरकार दोनों स्तर पर सतर्क होकर इस मामले से निपटने की आवश्यकता है। बजरंग दल के कार्यकर्ता के परिवार को हर प्रकार की सहायता व सुरक्षा मिलनी चाहिए तथा हत्या को अंजाम देने वालों को सख्त से सख्त सजा एक समय सीमा के बीच मिलनी चाहिए। जब तक मामला न्यायालय में है तब तक प्रदेश में शांति बनाये रखना समाज और सरकार दोनों की जिम्मेवारी है।